#
वो हर बार पहली मुलाकात की तरह मिलती है मुझे,*
मुझे हर बार उससे पहली नज़र का इश्क़ हो जाता है.!!
#
तुम्हारी एक मुस्कान से सुधर गई तबियत मेरी,
बताओ यार इश्क करते हो या इलाज करते हो।
एहसास-ए-इश्क
#
इश्क कब हो गया पता ही न चला,
कब हम फिदा हो गए उन पे पता ही न चला।
अब उसको देखे बिना रहा नहीं जाता,
हमें उससे प्यार है ये बताया नहीं जाता।
#
तेरे एहसास से जुड़ी एक एक चीज़ को संभाले रखा है,
तेरे से शुरू हुई दास्तां का नाम हमने इश्क रखा है ।
#
काश मेरे "लफ़्ज़"...उसके "दिल" पर...ऐसा "असर" करें.....
वो मेरे "करीब" आ कर कहें...चलो "जी" भर के..."इश्क" करें.....💘
#
उम्र कम थी इश्क बेहिसाब हो गया,
एक वक्त के बाद ये रोग लाइलाज हो गया ।
#
एक ऐहसास जो सिर्फ उसका है:-
नज़रे करम मुझ पर इतना न कर..
कि मै तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं
मुझे इतना न पिला इश्क-ए-जाम की,
मैं इश्क़ के जहर का आदी हो जाऊं.....
#
जब रूह में उतर जाता है इश्क का बेपनाह समंदर..
जिंदा होते हैं लोग, मगर किसी और के अंदर...
इंतजार-ए-इश्क
#
रेल की तरह गुज़र तो कोई
भी सकती है
इंतज़ार में पटरी की तरह पड़े
रहना ही असल इश्क़ है.
#
हार जाऊँगा इश्क-ऐ शतरंज में जानता हूँ..
फिर भी..
हर चाल ऐसे चलता हूँ कि रानी से अपनी दूर ना रहूँ...
#
क्या लिखूँ समझ नहीं आया,
मुझे आपके सिवाय कुछ नजर नहीं आया,
मेरे इश्क मोहब्बत में कमी थी सायद ,
जो आप को मैं नजर नहीं आया।
#
मैं उन्हीं का था, मैं उन्हीं का हूं
वो मेरा नहीं तो न सही।
वो न मिला तो क्या हुआ
ये इश्क था हवस नहीं....
#
देखो दरवाजे पर दस्तक किसकी है..
अगर इश्क हो तो कह देना कि यहां कोई नहीं रहता।
इश्क क्या है ?
#
सुनो......
ये जो इश्क़ है दो लोगों के बीच का नशा है
इसमें.....
जिसे पहले होश आ गया वो बेवफ़ा है....
#
इश्क़ नज़र का खेल हे,
एसे देखो तो इश्क़ दरियाँ हे,
वेसे देखो तो बवाल हे।
#
हमें मत समझाइये
मायने इश्क़ के जनाब
जो आप किताब पढ़ रहे है
वो मेरी लिखी हुई है..
इश्क-ए-तन्हाई
#
अरसा बीता, ज़िंदगी बीती...सब कुछ बीता
लेकिन फिर भी...
जो इश्क़ में बीती...वो इश्क़ ही जाने..
या जिस पर बीती वो जाने l
#
कैसे भुला दूं वो लम्हा जिसमें तेरा नाम था
छोड़ने से पहले कुछ अच्छा बहाना बनाती,
क्यों कहा तेरा इश्क ही बदनाम था।
दर्द-ए-इश्क
#
बरसों से कायम है “इश्क़” अपने उसूलों पे,
💕
ये कल भी तकलीफ देता था, ये आज भी
तकलीफ देता है।
#
कपड़ो सा इश्क हैं,
हर रोज जमाने को नया चहिये.
#
आज बता रहा हूँ नुस्खा-ए-मौहब्बत ज़रा गौर से सुनो,
न चाहत को हद से बढ़ाओ न इश्क़ को सर पे चढ़ाओ।
#
ये इश्क है जनाब यहा इंसान निखरता भी,
कमाल का है और बिखरता भी कमाल का है।
#
इश्क में मेरा इस कदर टूटना तो लाजिम था💗💗💗
कांच का दिल था और मोहब्बत पत्थर की!🕊🕊🕊
#
अब छोड़ दिया है 'इश्क' का स्कूल हमने भी,
हमसे अब 'मोहब्बत' की फीस अदा नही होती।
#
जख्म"..."खरीद" लाया हूँ..."इश्क ए बाजार" से.....
: "दिल"..."जिद" कर रहा था...मुझे "मोहब्बत" चाहिये.....
Tags:
लव शायरी