इश्क़ क्या है
एक लाइन में बताता हूं इश्क़ क्या है,
शहद की डिबिया में ज़हर भरा है।
दर्द आंखों में झलक जाता है ,पर होठों तक नहीं आता है
ये मजबूरी है मेरे इश्क की, जो मिलता है खो जाता है
उसे भूलने का ख्याल तो हर रोज दिल में आता है,
पर कैसे भुला दे दिल हर ज़र्रे में जिसको पाता है।
आदत बदल सी गई है
वक़्त काटने की...
हिम्मत होती ही नहीं
किसी से अब दर्द बांटने की....।
देखो कितना बदल गया हूं मैं........😒
ठोकरें खा-खा कर अब संभल गया हूं मै।😐
कैसी है ये आज की दुनिया
जहां किसी को......
न तो कायदे पसंद हैं
न तो वादे पसंद हैं
बस सिर्फ और सिर्फ फायदे
पंसद हैं।
शख़्स दो अलग नहीं तलाशने पड़े मुझ को,
जो दुश्मन है मेरा वही दोस्त भी था।
टूट टूट कर भी कितना बिखरे और जो बिखर गया वो सपना क्या
छोड़ने के तो बहाने अक्सर मिलेगें पर जो छोड़ गया वो अपना क्या
खुश हूँ कि मुझे रुला कर
तुम हंसे तो सही
मेरे ना सही किसी के दिल
मै बसे तो सही।।
तेरी याद
तेरी याद ही तो एक ऐसी चीज है..जो न चाहते हुए भी आ जाती है ।
रोता वही है जिसने महसूस किया हो
सच्चे रिश्ते को,
मतलब का रिश्ता रखने वालों की आखों में न शर्म होती है न पानी।
वक़्त के एक दौर में
इतना भूखा था मैं ,
कुछ और न मिला तो
धोखा ही खा गया !!
य़कीन मानो तुम्हारे बाद,
हँस हँस के ठुकराये हैं
इश्क के कई मौके मैंने !
निकलेगा वो बेवफा इस कदर मालूम न था,
अब भी दिल उसके वफ़ा की दास्ताँ लिए बैठा है।
ये सुर्ख हवाएँ...बिखरे पत्ते और तन्हाई...
अप्रैल तू सब कुछ ले आया है सिवा उसके...!!!
एक जैंसे हो गए हैं अब
'अखबार और रिश्तेदार'
काम की बातें कम और
बेमतलब की बातें हजार
ना ज़ख्म भरे,
ना शराब सहारा हुई..
ना वो वापस लौटीं,
ना मोहब्बत दोबारा हुई।
कोई नहीं होता हमेशा के लिए किसी का,
लिखा है साथ थोड़ा-थोड़ा इस दुनिया में सभी का,
मत बनाओ किसी को अपने जीने की वजह,
क्योंकि बाद में जीना पड़ता है अकेले ही ये असूल है जिन्दगी का।
गुज़र गया वो वक़्त
गुज़र गया वो वक़्त
जब तेरी हसरत थी मुझको,
तू अब खुदा भी बन जाए
तो तेरा सजदा ना करू।
ख़ुदा नवाज़े तुझे मुझसे बेहतर,
मग़र तू फिर भी मेरे लिए तरसे..!!
🌹
ख्वाब था उसको देने का,
ख्वाब ही रह गया।
बहते अश्को की जुबां नहीं होती,
कभी लब्ज़ो में मोहब्बत बया नहीं होती, मिले जो प्यार तो कदर करना,
क्यों की किस्मत हर किसी पे महेरबान नहीं होती।
अगर कोई ज़ोर दे कर पूछेगा,
हमारी मौहब्बत की कहानी,
तो हम भी धीरे से कहेंगे,
मुलाक़ात को तरस गए ।।
लगा कर आदत बेपनाह मोहबबत का,
अब वो कहते है समझा करो वक्त नही है।
कोई तेरा साथ दे न दे तो कोई ग़म ना करना,
खुद से बड़ा दुनिया में कोई हमसफ़र नहीं होता।
कोई तो होगा टूटा हुआ मेरी तरह ही जो,
जुड़ने की ख्वाहिश लिए जी रहा होगा अकेला कही।
तकलीफ ये नहीं की किस्मत ने मुझे धोखा दिया
मेरा यकीन तुम पर था किस्मत पर नही
दिल तो रोज़ कहता है
मुझे कोई सहारा चाहिए,
फ़िर दिमाग़ कहता है
क्यों तुम्हें धोखा दोबारा चाहिए।
वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से
दूर क्या हुए कलम ने क़हर मचा दिया।
शायरों से ताल्लुक रखो, तबियत ठीक रहेगी
ये वो हक़ीम हैं, जो अल्फ़ाज़ों से इलाज करते हैं
मुस्कराहट-
मुस्कराहट,
एक कमाल की पहेली है,
जितना बताती है,
उससे कहीं ज्यादा छुपाती है।
अपनी हालात का ख़ुद अहसास नहीं है मुझको,
मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूं मैं।
फरेबी भी हूँ, ज़िद्दी भी हूँ, और पत्थर दिल भी हूँ,
मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते।
नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आंसू
जब भी तुम ख्वाबों में मेरा हाथ छोड़ देती हो
ये माना कि तू मुझसे बात नहीं करेगी,
लेकिन देखना एक दिन उस खुदा से भी तू मेरी फरियाद करेगी।
रोशनी के इंतज़ार में
अँधेरे से मोहब्बत हो गई।
अगर रो दू तेरे सामने में,
किसी दिन तो समझ लेना के,
बर्दास्त करने की हद,
ख़तम हो गई है मेरी।
हम तो उनके दिल से अपना दिल जोड़ने चले थे,
पर
उन्होंने तो दिल ही किसी और को दे दिया।
Tags:
लव शायरी