जब इंसान किसी अपने से दूर हो जाता है, तो तन्हाई उसको हर चीज से दूर कर देती है। उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता और ना किसी काम में मन लगता है। पेश हैं ऐसे ही अकेलेपन और तन्हाई की हालत को बयां करती कुछ बेहतरीन शायरियां :
दर्द ए तन्हाई शायरी
✍ मुझे इन राहों में तेरा साथ चाहिए..
तन्हाइयों में तेरा हाथ चाहिए..
खुशियों से भरे इस संसार में,
तेरा प्यार चाहिए।
✍ मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसे छोड़ दूँ
इस तन्हाई ने तन्हाई में तनहा मेरा साथ दिए है I
✍ उसके दिल में थोड़ी सी जगह माँगी थी,
मुसाफिरों की तरह,
उसने तन्हाईयों का एक शहर
मेरे नाम कर दिया।
✍ बस वही जान सकता है
मेरी तन्हाई का आलम।
जिसने जिन्दगी में किसी को
पाने से पहले खोया है।
✍ कैसे गुज़रती है मेरी हर एक शाम तेरे बगैर....
अगर तू देख ले तो कभी तन्हा न छोड़े मुझे।
✍ बहुत खुशनुमा कल की रात गुजरी है,
कुछ तन्हा पर कुछ खास गुजरी है,
न नींद आई न ख्वाब कोई,
बस आप ही ख्यालों के साथ गुजरी है।
✍ तेरे ना होने से जिंदगी में,
बस इतनी सी कमी रहती है,
मैं लाख मुस्कराऊँ फिर भी,
इन आँखों में नमी सी रहती है।
✍ सिलसिला आज भी वही जारी है
तेरी याद, मेरी नींदों पर भारी है।
✍ कुछ उलझे सवालो से डरता हे दिल जाने,
क्यों तन्हाई में बिखरता हे दिल,
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही,
बस कुछ अपनों को खोने से डरता हे ये दिल।
✍ अपनी बेबसी पर आज रोना आया,
दूसरों को क्या मैंने तो अपनों को भी आजमाया,
हर दोस्त की तन्हाई हमेशा दूर की मैंने,
लेकिन खुद को हर मोड़ पर हमेशा अकेला पाया
✍ घर बना के मेरे दिल में वो छोड़ गया....
न खुद रहता है, न ही किसी और को बसने देता है।
✍ माना कि तेरी नजर में शायद कुछ भी नहीं हूं मैं,
पर मेरी कीमत तू उनसे पूंछ
जिनको पलट कर नहीं देखा मैंने सिर्फ तेरे लिए।
✍ जहां याद न आये तेरी वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने वो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंजिल तक जाना है मुझे,
लेकिन जहां से अपने नही दिखें वो ऊंचाई किस काम की।
✍ सारा दिन लगता है खुद को समेटने में..
फिर रात को उनकी यादों की हवा चलती है
और हम फिर बिखर जाते हैं।
✍ यकीनन कुछ तो तलब है,
ये फासलों में भी साहिब।
तेरे साथ से धड़कता दिल,
अब तेरे नाम से धड़कता है।
✍ मुझे आग़ोश में ले कर तेरे किससे सुनती हैं,
मेरी रातें मुझे अक्सर सुलाना भूल जाती हैं...
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