गौतम बुद्ध विश्व के ऐसे महान व्यक्तित्व हैं जिन्होंने पुरे विश्व को ज्ञान की रौशनी दी और अपनी शिक्षाओं और ज्ञान के माध्यम से लोगों को दुख से मुक्ति और ख़ुशी से जीना सिखाया। गौतम बुद्ध एक आम मनुष्य ही थे जो अपने ज्ञान के द्वारा बाद में भगवान बुद्ध बने, जिनके अनुयायी आज भी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं।
तो आइये जानते हैं कि राजकुमार सिद्धार्थ को भगवान बुद्ध बनने की प्रेरणा कहा से मिली।
गौतम बुद्ध का जन्म और माता पिता-:
गौतम बुध का जन्म एक राजसी परिवार में 563 ई•पू• राजकुमार के रूप में हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन और माता का नाम माया देवी था। उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
भविष्यवाणी और शुरुआती जीवन-:
सिद्धार्थ के जन्म के समय ही एक योगी ने भविष्यवाणी कर दी थी कि यह कम उम्र में ही सन्यासी बन जाएगा। उनके पिता सिद्धार्थ को अपने राज्य का उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे। वो भविष्यवाणी सुन के विचलित हो गए और उन्होंने गौतम बुद्ध को पूरे समाज से और दुनिया की सारी परेशानियों से दूर रखा।
सिद्धार्थ के सामने कभी किसी बूढ़े को और रोगी व्यक्ति को जाने नहीं दिया गया। उनके चारों तरफ सिर्फ खुशहाल जीवन और खुशहाल माहौल बनाया गया ताकि सिद्धार्थ का मन सांसारिक जीवन से विरक्त ना हो।
16 वर्ष की उम्र में ही सिद्धार्थ की शादी यशोधरा से कर दी गई और उनका एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम राहुल था।
गौतम बुद्ध,राजकुमार सिद्धार्थ से महात्मा बुद्ध कैसे बने?
1 दिन सिद्धार्थ नगर भ्रमण के लिए निकले थे ।वहां रास्ते में उन्होंने 3 आदमियों को देखा, जिसके बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई।
पहला, एक रोगी-:
सिद्धार्थ को रास्ते में एक रोगी व्यक्ति दिखा उसकी हालत को देखकर उन्होंने मंत्री से पूछा कि 'यह ऐसा क्यों है' तो मंत्री ने जवाब दिया कि 'राजकुमार यह एक शरीर की अवस्था है। यह रोगी है और रोग किसी को भी हो सकता है।' उन्होंने पूछा "क्या मुझे भी।" मंत्री ने जवाब दिया "हां आपको भी।"
दूसरा, एक वृद्ध व्यक्ति-:
रास्ते में सिद्धार्थ को एक वृद्ध व्यक्ति दिखा। इससे पहले उन्होंने कभी वृद्ध व्यक्ति नहीं देखा था, क्योंकि उनके चारों तरफ वृद्ध व्यक्तियों को आने भी नहीं दिया जाता था। उसकी झुर्रियां और उसकी अवस्था को देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। महान मंत्री से पूछा "यह कौन है।" मंत्री ने जवाब दिया कि 'यह वृद्ध है। राजकुमार, यह भी शरीर की एक अवस्था है। एक उम्र के बाद हर कोई वृद्ध होता है।'
तीसरा, एक मृत व्यक्ति-:
आगे जाते हुए राजकुमार ने देखा कि कुछ लोग एक व्यक्ति को कंधों पर ले जा रहे हैं। तो उन्होंने मंत्री से पूछा कि 'यह क्या हो रहा है?' मंत्री ने जवाब दिया कि 'यह व्यक्ति मर चुका है। इसके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है।' सिद्धार्थ ने पूछा कि 'यह मरना क्या होता है?' मंत्री ने जवाब दिया कि 'राजकुमार, जो भी इस संसार में पैदा हुआ है। उसका मरना निश्चित है। इससे कोई नहीं बच सकता।'
इन तीनों घटनाओं के बाद सिद्धार्थ अपने महल में इन्हीं के बारे में सोचते रहे। उन्हें एहसास हुआ कि जो जिंदगी वह जी रहे हैं, वह एक भ्रम मात्र है। उनके मन में संसार से विरक्ति उत्पन्न हो गई। वह ज्ञान और सत्य की खोज में अपनी पत्नी और बच्चे को सोता हुआ छोड़कर निकल गए।
कई वर्षों भटकने के बाद एक दिन उन्हें एक पीपल के वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और इस प्रकार वह सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बन गए। इसके बाद उन्होंने 40 वर्षों तक पूरे विश्व में ज्ञान और शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया।
FAQ
राजकुमार सिद्धार्थ व् यशोधरा के पुत्र का नाम क्या था?
>>जगन्नाथ पुरी के अनसुने रहस्य