हम सब ने महाराणा प्रताप के चेतक के बारे में तो सुना ही है। चेतक के बारे में बहुत सारी कविताएं भी पड़ी हैं। अब हम बात करते हैं महाराणा प्रताप के प्रिय हाथी राम प्रसाद के बारे में। रामप्रसाद बड़ा ही समझदार, ताकतवर और स्वामी भक्त हाथी था। हल्दीघाटी के युद्ध में उसने अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था। रामप्रसाद अपनी सूड में तलवार को फंसाता था और कई दुश्मनों को मारता जाता था। उसके किस्से अकबर के दरबार तक मशहूर थे। हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर ने महाराणा प्रताप, उनके घोड़े चेतक और उनके हाथी रामप्रसाद को पकड़ने की बहुत कोशिश की। अकबर की सेना महाराणा प्रताप और उनके घोड़े को तो नहीं पकड़ सकी लेकिन पकड़ा गया। रामप्रसाद को पकड़ने के लिए सात हाथियों का एक चक्रव्यूह बनाया गया था।
रामप्रसाद एक बहुत ही कुशल हाथी था और युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ा देता था। उसकी ताकत और युद्धकौशल को देखकर अकबर उसे अपनी सेना में शामिल करना चाहता था। अकबर ने बहुत से महावतों को रामप्रसाद को नियंत्रण में करने के लिए तैनात किया।
स्वामी भक्त राम प्रसाद किसी महावत की बात नहीं सुनता था। उसने खाना पीना सब छोड़ दिया था। उसे अच्छा खाना देनें से लेकर मारपीट और प्रताड़ित करके नियंत्रण में करने की कोशिश की गई। लेकिन रामप्रसाद अपने स्वामी से अलग होके बस रोता ही रहा और अकबर के महावतों के नियंत्रण में नही आया।
महाराणा प्रताप उससे बहुत प्यार करते थे और राम प्रसाद ने उनके प्यार के बदले में अपनी निष्ठा और स्वामी भक्ति दिखा कर अपनी बफादारी निभाई।
कई दिनों के प्रयास के बाद भी जब अकबर रामप्रसाद को नहीं झुका पाया तो असने सब के सामने राम प्रसाद के टुकडे करवा दिये। लेकिन अकबर को ये एहसास हो गया कि जिसके एक हाथी को वो नहीं झुका पाया उस महाराणा प्रताप को वो कभी नहीं झुका पायेगा।