रिश्ते विश्वास की डोर से बंधे होते हैं
एक बार ये डोर टूटी
तो उसका पहले जैसा जुड़ना मुश्किल है ।
रहीम जी ने कहा है-
रहीमन धागा प्रेम का, जो तोड़ो चटकाय
जोड़े से फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाय।।
🌺 सुविचार 🌺
जब रिश्तों में झूठ बोलने की
आवश्यकता महसूस होने लगे,
तब समझ लेना चाहिए
कि रिश्ता समाप्ति की ओर है।
झूठ से रिश्ते कैसे टूटते हैं?
हर रिश्ते की बुनियाद होती है विश्वास। जब रिश्ते में झूठ का पदार्पण हो जाता है तो फिर विश्वास खत्म होने लगता है।
झूठ अगर एक बार पकड़ा गया तो फिर दूसरा व्यक्ति पू्र्ण विश्वास नही कर पाता और रिश्तों में दूरियां आने लगती हैं।
अगर झूठ पकड़ा गया तो भी हम उस पर पर्दा डालनें की कोशिश में पूरी सच्चाई से रिश्ता नही निभा पाते और फासले बढ़ने लगते हैं।
इसलिए जो आपके अपनें हैं या तो उन्हें सब सच बता दो या झूठ बोलने की बजाय चुप ही रहो। कभी-कभी हम इसलिए भी झूठ बोलते हैं, क्योंकि हमें लगता है कि हमारे सच बोलनें से हम जिन्हें प्यार करते हैं उनको ठेस पहुंचेगी। लेकिन सोचो अगर उनका विश्वास टूटा तो उन्हे कितनी तकलीफ होगी।
सच बोलने से लगने वाली ठेस विश्वास टूटने से होने वाले दर्द से कम तकलीफ देती है।