हम सभी जानते हैं कि हमारे घरों में AC(Alternative current) पावर सप्लाई की जाती है। हमारे घरेलू विद्युत उपकरण इसी AC सप्लाई पर ही काम करते हैं। लेकिन AC विद्युत धारा की एक सीमा ये है कि उसे संरक्षित नही किया जा सकता है, जबकि DC(Direct Current) को बैटरी के माध्यम से संरक्षित कर सकते हैं।
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इसी सीमा की वजह से जब पावर कट होता है तो बैकअप के लिए बैटरी से पावर लेते हैं। अब चूंकि बैटरी DC प्रदान करती हैं और हमारे विद्युत उपकरण AC पर कार्य करते हैं, इसलिए हमें पावर बैकअप के लिए UPS और इंवर्टर की आवश्यकता पड़ती है।
इन्वर्टर क्या होता है?
Inverter का हिंदी में शाब्दिक अर्थ होता है 'पलटने वाला' ।
Inverter प्रत्यक्ष धारा (DC) को प्रत्यावर्ती धारा (AC) में परिवर्तित करता है। जब बिजली रहती है तो यह AC स्रोत से सप्लाई लेता है और बैटरी को चार्ज करता है। पावर कट के दौरान, बैटरी से पावर सप्लाई प्राप्त करता है और बिजली के उपकरणों को बैकअप प्रदान करता है।
इन्वर्टर एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट है जो DC को AC में परिवर्तित करता है। यह विद्युत शक्ति उत्पन्न नहीं करता है; बैटरी से बिजली की आपूर्ति की जाती है। इन्वर्टर का इनपुट वोल्टेज एक रेगुलर डीसी वोल्टेज होता है और उनका आउटपुट एक वर्ग, साइन या पल्स साइन वेव हो सकता है जो इन्वर्टर के सर्किट और डिज़ाइन पर निर्भर करता है। इन्वर्टर की आउटपुट AC वोल्टेज की आवृत्ति मानक आवृत्ति के समान ही रहती है, अर्थात 50 या 60 हर्ट्ज।
इन्वर्टर से मिलने वाले बैकअप का समय, बैटरी पावर और लोड पर निर्भर करता है। यदि इन्वर्टर का उपयोग करने वाले उपकरणों की संख्या बढ़ जाती है तो उनका रन टाइम कम हो जाएगा। डीसी पावर store करने के लिए बैटरी की संख्या बढ़ाकर बैकअप टाइम में सुधार किया जा सकता है।
Inverter के प्रकार
Inverter मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते हैं :
a) स्टैण्ड अलोन इनवर्टर
b) ग्रिड टाई इन्वर्टर
इन्वर्टर का कार्य
इन्वर्टर का उद्देश्य घरेलू विद्युत उपकरणों को संचालित करने के लिए निर्बाध बिजली प्रदान करना है। ये होम इनवर्टर विभिन्न वोल्टेज और लोड कैपेसिटी में उपलब्ध हैं।
हालांकि, एक इन्वर्टर में परिवर्तित ऊर्जा को संग्रहीत करने के लिए सिस्टम के साथ एक अतिरिक्त डीसी (बैटरी) स्रोत शामिल होता है।
एक इन्वर्टर मुख्य रूप से ON के दौरान AC सप्लाई को DC करंट में बदलने का काम करता है, जो बैटरी को चार्ज करने में मदद करता है। चूंकि इनवर्टर की बैटरियां बाहरी रूप से जुड़ी होती हैं, इसलिए उच्च क्षमता वाली बैटरियां उपयोग की जा सकती हैं जो ज्यादा समय के लिए पावर बैकअप प्रदान कर सकती हैं। आमतौर पर 100Ah से 200Ah के बीच करंट क्षमता की बैटरियां उपयोग की जाती हैं, जो 2hrs से 5hrs तक पावर की आपूर्ति करती हैं।
इसके अलावा, मेन पावर बंद होने के दौरान, इन्वर्टर रिले को बैटरी से सप्लाई की जाने वाली पावर को मेन पावर से स्विच करने में लगभग 10-20 मिली सेकण्ड लगते हैं।
यहां यह बात ध्यान देने योग्य हैं कि 10-20 मिली सेकण्ड की इस छोटी सी देरी के पावर कट को भी कई क्षेत्रों में सहन नहीं किया जा सकता है, जैसे कि बैंकिंग क्षेत्र में, जहां लाखों लेनदेन होते हैं, अस्पतालों में जहां जीवन समर्थन प्रणाली पर लोगों को निरंतर ऑक्सीजन की आपूर्ति की आवश्यकता होती है, सर्वर रूम में, वैज्ञानिक लैव में और यहां तक कि उन घरों में जहां कंप्यूटर या अन्य परिष्कृत उपकरण उपयोग किये जाते हैं। ऐसी बाधाओं को दूर करने के लिए, यूपीएस तस्वीर में आता है।
UPS क्या होता है?
UPS की फुल फोर्म Uninterruptable Power Supply होती है। यूपीएस एक ऐसा उपकरण है जो बिजली की सप्लाई जाने की स्थिति में इन्वर्टर की तरह उपकरणों को चालू रखने के लिए ऊर्जा की आपूर्ति करता है।
1.5 KVA तक की कम क्षमता वाले यूपीएस में 5 AH से लेकर 10 AH तक की आंतरिक बैटरी होती है, जिससे बिजली जाने के दौरान 15-30 मिनट का पावर बैकअप मिलता है। उच्च क्षमता वाले यूपीएस के लिए बैटरी बाहरी रूप से जुड़ी होती है, लेकिन कार्यक्षमता यूपीएस के प्रकार पर निर्भर करती है।
UPS के प्रकार
UPS मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं :
a) ऑनलाइन UPS
b) ऑफ़लाइन UPS
c) लाइन इंटरएक्टिव UPS
UPS और इन्वर्टर में क्या अंतर है?
UPS और इन्वर्टर के बीच महत्वपूर्ण अंतर :
1. UPS में आउटपुट हमेशा बैटरी से लिया जाता है जबकि इंवर्टर में सिर्फ पावर कट के दौरान ही बैटरी से सप्लाई ली जाती है।
2. UPS सीधा बैटरी से सप्लाई देता है इसलिए चेंजओवर या स्विचिंग की जरूरत नहीं पड़ती जबकि इन्वर्टर 10-50 ms का समय लेता है बैटरी से सप्लाई प्रदान करने में।
3. UPS में सर्ज प्रोटेक्शन, वोल्टेज रेगुलेशन आदि के लिए अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक सर्किट लगे होते हैं जबकि इन्वर्टर में ये नहीं होते हैं।
4. अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक सर्किट लगे होने के कारण UPS महंगा होता है जबकि इन्वर्टर सस्ता होता है।
5. UPS में हीट सिंक की भी आवश्यकता होती है जबकि इन्वर्टर में हीटसिंक की जरूरत नहीं होती है।
6. ऑफलाइन, ऑनलाइन और लाइन इंटरप्टिव यूपीएस के प्रकार हैं जबकि इन्वर्टर दो प्रकार के होते हैं, यानी स्टैंडबाय इन्वर्टर और ग्रिड टाई इन्वर्टर।
7. यूपीएस बहुत कम अवधि के लिए एक बैकअप आपूर्ति प्रदान करता है जबकि इन्वर्टर एक लम्बी अवधि के लिए बिजली की आपूर्ति करता है।
8. यूपीएस में वोल्टेज में उतार-चढ़ाव नहीं होता है क्योंकि उनका इनपुट, आउटपुट सप्लाई से स्वतंत्र होता है जबकि इन्वर्टर में वोल्टेज की ऊपर-नीचे होती है।
9. यूपीएस का उपयोग कंप्यूटर और डिजिटल उद्देश्य के लिए, कार्यालयों और उद्योगों में किया जाता है, जबकि इन्वर्टर का उपयोग घरेलू कार्य के लिए किया जाता है।
10. कम क्षमता वाले UPS में आंतरिक बैटरी होती है जबकि इन्वर्टर में बैटरी बाहरी रूप से जुड़ी होती है।
आजकल पावर इन्वर्टर बहुत सारे नए फीचर्स के साथ आ रहे हैं। जैसे - ईको मोड, UPS मोड, ओवर लोड प्रोटेक्शन आदि।
इन्वर्टर में इको मोड क्या होता है?
घरों में हम इन्वर्टर को ज्यादातर ईको मोड में इस्तेमाल करते हैं। ईको मोड में स्विचिंग टाइम थोड़ा ज्यादा होता है लेकिन बैटरी का उपयोग कम होता है। जब मेन पावर होती है तो उपकरणों को सप्लाई सीधे मेन्स से की जाती हैं और बैटरी चार्ज होती रहती हैं। जब बैटरी पूरी तरह चार्ज हो जाती है तो बैटरी के लिए भी सप्लाई कट हो जाती है जिससे बिजली की खपत कम होती है।
पावर बटन को 1-2 सैकंड के लिए लगातार दबाकर रखने से इन्वर्टर ईको से UPS मोड और UPS से ईको मोड में आ जाता है जो उसमे इंडिकेशन में दिख जाता है।
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