इलेक्ट्रिक वाहनों के फायदे और नुकसान - जरूर देखें

इलेक्ट्रिक वाहनों के फायदे और नुकसान - जरूर देखें

         भारत में कई ऐसे शहर हैं जो वायु प्रदूषण के ख़तरनाक स्तर को पार कर चुके हैं। दिल्ली और नॉएडा जैसे शहरों में तो प्रदूषण दम घोंटने वाला है। बढ़ते हुए प्रदूषण के स्तर को देखते हुए कई राज्य की सरकारों और भारत सरकार ने कई  प्रयास शुरू किये हैं। इन्हीं प्रयासों में से एक है बड़े शहर में वाहनों से निकलने वाले धुएँ को कम करना। दिल्ली आदि में odd-even वाला फार्मूला भी कई बार लागू किया गया।

Electric vehicle ke fayde or nukshan ka chart

         वैसे odd और even वाला फार्मूला कोई ज्यादा सार्थक उपाय नही है। अतः सरकार ने वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए डीज़ल बसों की बजाय इलेक्ट्रिक बसों को शहर में चलाने की योजना बनाई है। इलेक्ट्रिक वाहनों के बहुत से फायदे होने के साथ साथ कुछ नुकसान भी है जिन्हे हम एक एक करके देखते हैं।

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इलेक्ट्रिक गाड़ियों के फायदे

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के सकारात्मक पहलु कुछ इस प्रकार हैं -:

उत्सर्जन रहित वातावरण 

        इलेक्ट्रिक वाहन का सबसे बड़ा फायदा यही है कि ये इको-फ्रेंडली होते हैं। इनमें इलेक्ट्रिक इंजन होता है जो पर्यावरण में जहरीली गैसों या धुएं का उत्सर्जन नहीं करता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों का उपयोग करके वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने की मुहिम को आगे बढ़ाया जा सकता है और ग्रीन एनर्जी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक वाहन निश्चित रूप से एक स्वस्थ और हरित जलवायु की दिशा में योगदान देंगे।

       आज जबकि भारत के ज्यादातर बड़े शहर प्रदुषण की समस्या से झूझ रहे हैं, इलेक्ट्रिक गाड़ियों समय की आवश्यकता बन गयी हैं। दिल्ली और नॉएडा जैसे तमाम बड़े शहर में प्रदूषण का स्तर दम घोंटने तक पहुँच चुका है। ऐसे में इलेक्ट्रिक बसों और कारों का उपयोग थोड़ी राहत दिला सकता है।

ध्वनि प्रदूषण में कमी 

         हम सब जानते हैं कि चाहे इलेक्ट्रिक स्कूटर हो, इलेक्ट्रिक कार हो या इलेक्ट्रिक बस, ये सब बहुत शांत होते हैं और बहुत कम आवाज करते हैं। इनके इंजन के कम आवाज करने के कारण ध्वनि प्रदूषण कम करने मे भी इनका योगदान हो सकता है।

कम रखरखाव

        इलेक्ट्रिक बसों और कारों को चलाने के लिए विद्युत चालित मोटर का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इन मोटर या विद्युत इंजनों को लुब्रिकेट करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। इलेक्ट्रिक इंजन को दहन इंजन के मुकाबले ठंडा रखने की भी कम आवश्यकता होती है। इसलिए इन वाहनों के रखरखाव की लागत कम होती है। इलेक्ट्रिक वाहनों को सर्विस स्टेशन पर उतनी बार भेजने की आवश्यकता नहीं है, जितनी बार डीजल या पेट्रोल गाड़ियों को भेजना पड़ता है।

आसान संरचना

        इलेक्ट्रिक गाड़ियों और उनके इंजन की संरचना आसान होती है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों में उतना भारी भरकम गियर सिस्टम की आवश्यकता नही होती है। इसके अलावा इसके ब्रेक मे भी उतनी गतिज ऊर्जा की बर्बादी नही होती है. साथ मे इलेक्ट्रिक गाड़ियों में डीज़ल या पेट्रोल गाड़ियों की तरह क्लिच की जरुरत नही होती।

अधिक सुविधाजनक

         एक इलेक्ट्रिक गाड़ी को चार्ज करना आसान होता है. यहां तक ​​कि इलेक्ट्रिक कार और स्कूटर को एक सामान्य घरेलू सॉकेट का उपयोग करके भी चार्ज किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों में एयर कंडीशन आदि को डायरेक्ट बैटरी से ही चला सकते हैं। इसमें ईंधन इंजिन की मैकेनिकल ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने की आवश्यकता नही होती इसलिए इन गाड़ियों को अधिक सुविधाजनक बनाया जा सकता है। 

ड्राइव करने के लिए सुरक्षित

        इलेक्ट्रिक गाड़ियां अन्य डीज़ल या पेट्रोल गाड़ियों की तरह ही फिटनेस और परीक्षण प्रक्रियाओं से गुजरती हैं। इलेक्ट्रिक गाड़ी का गुरुत्वाकर्षण केंद्र नीचे होता है, जो उन्हें उपयोग करने के लिए अधिक सुरक्षित बनाता है और उन्हें सड़क पर अधिक स्थिरता भी मिलती है।

       इलेक्ट्रिक गाड़ियों की दुर्घटना या टकराव की स्थिति में ज्वलनशील ईंधन या गैस के नही होने से इनमें विस्फोट की संभावना कम होती है। इलेक्ट्रिक कार के लिए यह उम्मीद की जा सकती है कि एयरबैग खुल जाएंगे और बैटरी बिजली की आपूर्ति बंद हो जाएगी। यह कार में सवार यात्रियों को गंभीर चोटों से बचा सकता है। 

 बढ़ती लोकप्रियता

        इलेक्ट्रिक गाड़ियों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।  विकिपीडिया के अनुसार, इनकी कुशलता आंतरिक दहन इंजन वाली कारों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होती है।  बढ़ती लोकप्रियता के साथ बाजार में निवेश भी बढ़ेगा और तकनिकी भी बेहतर होगी। जब बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तो विकल्पों का खजाना खुलेगा और आपको लागत और कीमत में भी कमी आएगी।

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के नुकसान

        इलेक्ट्रिक गाड़ियों सकारात्मकता पहलुओं को देखने के बाद इनकी कुछ भी हैं। इलेक्ट्रिक कार में अपना अगला बड़ा निवेश करने से पहले इनके नुकसान को भी स्पष्ट रूप से जान लीजिये।

Electric car ka charging time and range


इलेक्ट्रिक गाड़ियों के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं -:

 रिचार्ज प्वाइंट

         इलेक्ट्रिक गाड़ियां अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में ही हैं। इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कम उपलब्धता होने के कारण इसके लिए इलेक्ट्रिक फ्यूल स्टेशन भी बहुत कम जगहों पर ही हैं। अगर आप किसी छोटे शहर या गांव में रहते है तो आपके लिए एक चार्जिंग स्टेशन भी मिल पाना मुश्किल हो सकता है। 

ज्यादा प्रारंभिक निवेश

         इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ अभी अपने विकास के प्रारंभिक चरण में ही हैं। अगर आप इलेक्ट्रिक कार खरीदने जाते हैं तो आपको डीज़ल या पेट्रोल कार की तुलना में बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत में जहाँ पेट्रोल कार 3-4 लाख से शुरू हो जाती हैं वही पर आपको एक इलेक्ट्रिक कार की शुरुआती कीमत 10 लाख रूपये मिलेगी। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की प्रारंभिक कीमत में कितना ज्यादा अंतर है।

         हालांकि कि जैसे जैसे ज्यादा कम्पनियाँ इस क्षेत्र में आएगी और तकनिकी बेहतर होगी तो इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत भी कम होगी। इसके साथ ही सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहन के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान देने की योजना भी ला सकती है।

शॉर्ट ड्राइविंग रेंज और स्पीड

         इलेक्ट्रिक गाड़ियों की गति और ड्राइविंग रेंज सीमित होती हैं। अधिकांश इलेक्ट्रिक कारों को लगभग 50-100 मील के बाद रिचार्ज करने की आवश्यकता होती है। कम रेंज और रिचार्ज स्टेशन की कम उपलब्धता के कारण आप उन्हें अभी लंबी यात्राओं के लिए उपयोग नहीं कर सकते हैं। वैसे भविष्य में इसमें काफी सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

लंबा रिचार्ज समय

         पेट्रोल या डीजल ईंधन वाली गाड़ियों की रिफ्यूलिंग में मात्र कुछ मिनट लगते हैं, जबकि एक इलेक्ट्रिक गाड़ी को पूरी तरह चार्ज होने में लगभग 4-6 घंटे लग जाते हैं और कभी-कभी तो पूरा दिन भी लग सकता है।

        रिचार्ज समय काफी लंबा होने के कारण इनके लिए डेडिकेटेड विद्युत स्टेशनों की आवश्यकता है।

        हालांकि कुछ ऐसे किट विकसित किये जा रहे हैं जो चार्जिंग समय को कम कर सकते हैं।  लेकिन फिर इस कितना के लिए भी आपको एक अतिरिक्त कीमत चुकानी पड़ेगी।

विकल्पों की कमी 

       इलेक्ट्रिक गाड़ियों का मार्केट अभी विकसित नही हुआ है. इसलिए इस क्षेत्र में विकल्प बहुत कम हैं। चाहे कोई इलेक्ट्रिक कार लेनी हो या उसके पार्ट लेने हो, आपको सीमित मॉडल ही मिलेंगे। आपके पास किसी भी प्राइस रेंज में उपलब्ध विकल्प बहुत कम ही हैं।

बैटरी बदलना

        इलेक्ट्रिक गाड़ियों में प्रयुक्त होने वाली बैटरी को उनके प्रकार और उपयोग के आधार पर लगभग हर 3-10 वर्षों में बदलने की आवश्यकता होती है।

ख़तरनाक अबशिष्ट 

       इलेक्ट्रिक गाड़ियों में प्रयोग होने वाली बैटरी के ख़तरनाक अबशिष्ट से होने वाले नुकसान को भी इलेक्ट्रिक कार या बाइक लेते समय नजरअंदाज नही किया जा सकता है।

बिजली मुफ्त नहीं है

       यदि आप इलेक्ट्रिक कार या बाइक लेने का विचार बना रहे हैं तो आप उसके स्पेशफिकेशन को ध्यान से देखें और उसके साथ उपलब्ध विकल्पों पर भी ध्यान दे। अगर आप घर पर ही कार को चार्ज करने की सोच रहे हैं तो आपको आपका बिजली का बिल हैरान कर सकता हैं क्योंकि  कभी-कभी इलेक्ट्रिक कारों को ठीक से काम करने के लिए बहुत अधिक चार्ज की आवश्यकता होती है।

      बिजली की कमी से जूझ रहे शहरों में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लाना नुकसानदायक होगा।

      आपको कौन-सी इलेक्ट्रिक कार पसंद है, कमेंट करके जरूर बतायें ।

  

FAQ

  भारत में इलेक्ट्रिक बस कब स्टार्ट हुई और कहां स्टार्ट हुई?

भारत में सबसे पहले इलेक्ट्रिक बस शुरू करने वाला राज्य कर्नाटक है। कर्नाटक के बैंगलोर में 20014 में भारत की पहली इलेक्ट्रिक बस को लॉन्च किया गया था।

भारत में पहली इंटर-सिटी इलेक्ट्रिक बस कब और कहां प्रारम्भ हुई?

भारत में सबसे पहले इंटर-सिटी इलेक्ट्रिक 2019 में महाराष्ट्र में शुरू की गई। यह इलेक्ट्रिक बस मुंबई और पुणे के बीच चलाई गई ।

भारत में पहली मेक इन इंडिया इलेक्ट्रिक कब बनी ?

भारतीय बस और हैवी वाहन बनाने वाली कंपनी अशोक लेलैंड ने अक्टूबर 2016 में पहले 100% मेड इन बस को लॉन्च किया था।

Shree Gangasagar

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है सत्येंद्र सिंह founder of ShreeGangasagar.com

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