सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अस्त्र था । शिव पुराण के अनुसार सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को भगवान शिव से प्राप्त हुआ था। यह अस्त्र उन्होने अपने श्री कृष्ण अवतार में धारण किया था। सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण के मन के आदेश पर चलता था और शत्रु का संहार करके वापस लौट आता था।
सुदर्शन चक्र को भगवान श्री विष्णु के अलावा कोई धारण नही कर सकता। अर्जुन निश्चित ही एक महान धनुर्धारी और योद्धा थे लेकिन उनमे सुदर्शन चक्र को धारण करने की क्षमता थी ये सोचना भी सही नही है।
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जब बर्बरीक ने की सुदर्शन को धारण करने की कोशिश
अर्जुन से भी महान और ताकतवर एक योद्धा थे बर्बरीक। बर्बरीक भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे और एक महान योद्धा थे। उन्होने माँ आदिशक्ति की साधना करके दिव्य बाण प्राप्त किए थे और वाल्मीक जी से किसी भी युद्ध में विजय दिलाने वाला धनुष पाया था। बर्बरीक के पास इतनी दिव्य शक्तियां थी की वो अर्जुन , कर्ण ,भीष्म पितामह जैसे सभी महान योद्धाओं को मारकर एक ही बाण से महाभारत का युद्ध समाप्त कर सकते थे।
एक बार श्री कृष्ण ने बर्बरीक की शक्ति के परीक्षण के लिए उनसे एक विशाल पेड़ के सभी पत्तों को एक ही बाण से भेदने के लिए बोला। बर्बरीक ने बाण छोड़ा और वो सब पत्तों को भेदकर श्री कृष्ण के चरणों के चारों तरफ घूमने लगा क्योकि उन्होने एक पत्ता अपने पैरों के नीचे दवा लिया था।
जब महाभारत का युद्ध प्रारम्भ होने वाला था तो बर्बरीक भी अपनी माँ से आशीर्वाद लेकर युद्ध में शामिल होने जाने लगे तो उनकी मां ने उनसे एक वचन लिया कि वो सिर्फ हारने वाले के पक्ष से ही युद्ध करेंगे। जब यह बात भगवान श्री कृष्ण को पता चली तो उन्होने बर्बरीक को युद्ध में शामिल होने से रोकने के लिए बर्बरीक से कहा कि उनके पास इतनी शक्ति है लेकिन बस एक सुदर्शन चक्र की कमी है। बर्बरीक अभी एक बालक ही थे तो वो कृष्ण जी की बातों में आ गए और बोले कि अगर वो अपना सुदर्शन चक्र दे देंगे तो उसके बदले में अपनी सारी शक्तियां श्री कृष्ण को दे देंगे। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें और उकसाते हुए कहा कि अगर वो सुदर्शन को चला लेंगे तो वो सुदर्शन चक्र भी उनका हो जाएगा और बदले में कुछ भी नहीं लेंगे। कृष्ण जी की बातों से बर्बरीक उत्साह में आ गए और उन्होने सुदर्शन चक्र को धारण करने की कोशिश की। इस कोशिश में उनका सिर धड़ से अलग हो गया। बाद में भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से उन्होने कटे हुए सिर से ही पूरे महाभारत का युद्ध देखा और कलयुग में उनकी खाटू श्याम जी के नाम से पूजा की जाती है। भगवान खाटू श्याम का मंदिर राजस्थान में है।
जब इंद्र ने किया श्री कृष्ण से युद्ध
श्री कृष्ण जी की एक रानी सत्यभामा ने अपने प्रति प्रेम को शाबित करने के लिए श्री कृष्ण से इंदलोक से पारिजात का पेड़ लाने की शर्त रखी थी। जब श्री कृष्ण जी पारिजात का पेड़ लेने के लिए इंदलोक गए तो इंददेव ने उन्हें पेड़ ले जाने से रोक लिया जिससे दोनों में युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में सुदर्शन चक्र ने इंद्रदेव के वज्र को पीस कर उसकी चूरा बना दिया था। अर्जुन इंद्रदेव के ही पुत्र थे। जब इंद्रदेव खुद सुदर्शन को नही सम्हाल पाए तो अर्जुन कैसे कर पाते।