लो दिल वालो आज मैं फिर से दिल्ली आया हूं
मेरी हर चीज ले लेना मैं खुद को लुटाने आया हूं
क्यों इस गंदी हवा में दम घुटा के मारते हो
अपने मरने का सामान मैं खुद साथ लाया हूं
उस नासमझ की यादों का पिटारा है साथ में
और आंखों में आसुओं का सैलाब भर के लाया हूं
लो दिल वालों आज मैं फिर से दिल्ली आया हूं
चांदनी चौक की गालियां जहां हम प्यार में खो गए थे
इसी लाल किले में हम एक दूसरे के हो गए थे
जिस इंडिया गेट से राजपथ पर हम साथ चलते थे
फौजियों की तरह हमारे भी कदम से कदम मिलते थे
कदमों की वो निशानी कर्तव्य पथ से मिटाने आया हूं
लो दिल वालों मैं फिर से दिल्ली आया हूं
मेट्रो से द्वारका द्वारका से अक्षरधाम जाते थे
और कभी कभी आश्रम में पूरा दिन बिताते थे
पुरानी दिल्ली की गलियों में जाम लगाने आया हूं
लो दिल वालों आज मैं फिर से दिल्ली आया हूं
राजीव चौक की मेट्रो में उन्हे धक्कों से बचाते थे
चाय पिलाने के लिए कैनोट पैलेस तक लाते थे
पालिका बाजार से भी सस्ते में दिल बिकवाने आया हूं
लो दिल वालों आज मैं फिर से दिल्ली आया हूं
काले खां के शोर से दूर इंद्रप्रथ पार्क में आ जाते थे
हर कोने में बैठे हुए जोड़ों को देख कर शर्माते थे
वही हुमायु के मकबरे में अपनी कवर बनाने आया हूं
लो दिल वालों आज मैं फिर से दिल्ली आया हूं
प्रेम निशानी यमुना तट पर राधा को याद करते थे
श्रीकृष्ण की बसुरी के सुर हमारे कानों में बजते थे
गंदे नालों के साथ मैं भी जमुना में मिल जाने आया हूं
लो दिल वालों आज मैं फिर से दिल्ली आया हूं
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