"वक्त सभी जख्मों को भर देता है और जिनको नही भर पाता उनके साथ जीना सिखा देता है।"
बचपन में मेरे पैर पर ट्रैक्टर का एक भारी पार्ट गिर गया था। पैर का अंगूठा पूरी तरह मिथल गया था।
बहुत भयंकर दर्द हुआ। बाद में वो पक गया और उसमे कीड़े पड़ गए... रोज डॉक्टर पस निकालता था। इतनी तकलीफ होती थी कि मैं यही बोलता था कि मेरा उतना पैर काट दो.... मैं बिना पैर के जी लूंगा लेकिन ये दर्द सहन नही कर पाऊंगा।
वक्त निकला और मेरा घाव ठीक हो गया। ऐ
से ही बहुत से जख्म शरीर पर और दिल पर लगते रहे जो उस समय असहनीय थे। कभी कभी तो मर जाना ज्यादा आसान लगता था।
लेकिन ये सारे जख्म या तो भर गए या फिर उनके साथ जीना आ गया। ठीक वैसे ही जैसे किसी का एक्सीडेंट में हाथ या पैर कट जाता है और बाद में वो उनके बिना भी जीना सीख जाता है।
तो जब भी तकलीफे घेर ले....दर्द सहन नहीं हो रहा हो.... डिप्रेशन में जा रहे हों, बस खुद को थोड़ा वक्त दो।